आज विश्व एक ऐसी समस्या से गुज़र रहा है जिसका निकट भविष्य में कोई समाधान नज़र नहीं आ रहा है। इस कोरोना वाइरस की समस्या ने इतना विकराल रूप ले लिया है की सम्पूर्ण विश्व एकजुट होकर भी असहाय महसूस कर रहा है।
पिछली एक शताब्दी में विज्ञान, प्रौद्योगिकी, कम्प्यूटर विज्ञान, औषधि विज्ञान आदि ने अभूतपूर्व तरक़्क़ी प्राप्त की हैं।किन्तु कोरोना की समस्या के आगे ये सभी नाकामयाब सिद्ध हुए हैं।
विश्व के बड़े-बड़े रिसर्च सेंटर भी अभी तक कोई महत्वपूर्ण सफलता प्राप्त नही कर सके हैं।अभी तक जो उपचार उपलब्ध है, वह सिर्फ़ एक दूसरे के संपर्क से बचना है जो की सरकारें लॉकडाउन के माध्यम से सुनिश्चित कर रही है। यह वह तरीक़ा है जो मानव तब से इस्तेमाल कर रहे हैं जब विज्ञान और वैज्ञानिक शब्द शायद ही इस्तेमाल हुआ हो ।
भौतिकवाद के इस दौर में मनुष्य ने अपने मूल्यों को पीछे छोड़ दिया है।
आज कोरोना वायरस की महामारी ने हमें यह मौक़ा दिया है कि हम अपने व्यस्त जीवन से थोड़ा समय निकालें और आत्ममंथन करें।
आज सम्पूर्ण मानव जाति इस महामारी से ग्रसित है और इसका प्रकोप दिन प्रतिदिन बढ़ता ही जा रहा है, हो सकता है आने वाले निकट भविष्य में प्रकोप धीरे धीरे कम होने लगे।
किन्तु इस महामारी के इस दौर ने प्रत्येक मानव के लिए कई व्यक्तिगत शिक्षाएं दे दी है। यह ऐसी शिक्षायें हैं जो यदि आज भी मानव ने गृहीत कर ली तो भविष्य में मानव व प्रकृति कई समस्याओं से बच सकते हैं।
आज के इस समय में मानव जाति व्यक्तिगत सुख सुविधाओं, पसंद नापसंद, भौतिकवाद आदि अनेकों भौतिक वस्तुओं के पीछे भाग रही है।
छोटे छोटे बच्चों पर पढ़ाई का, नृत्य- गायन आदि में अच्छा करने के लिए माता पिता का बढ़ता हुआ दबाव, शिक्षा में बड़े विद्यालय में प्रवेश परीक्षा उत्तीर्ण करने का दबाव, शिक्षा के बाद अच्छे वेतन वाली नौकरी प्राप्त करने का दबाव तदोपरांत दो-चार घर ख़रीदने की होड़ आज समस्त मानव जाति का एकमात्र लक्ष्य हो गया है।
आज प्रत्येक व्यक्ति अधिक से अधिक धन संचय पर केंद्रित हो गया है।
आज इस महामारी के समय में जब प्रत्येक व्यक्ति लॉकडाउन में घर पर बैठा है तो यह समय आत्ममंथन का है। क्या जो धन संपदा हमने संचित की है क्या वह वास्तव में हमारे लिए आवश्यक है।
जिन भौतिक वस्तुओं के पीछे हम भाग रहे हैं क्या वह जीवन में आवश्यक हैं।क्या हम अपने जीवन को पूर्ण रूप से जी पा रहे हैं।क्या हम अपने परिवार शुभचिंतकों के साथ समय व्यतीत कर पा रहे हैं।
आज इक्कीस दिन के लॉकडाउन ने हमें यह सीख दी है कि न्यूनतम वस्तुओं के साथ भी जीवनयापन सुखद तरीक़े से हो पा रहा है। हम परिवार के साथ समय व्यतीत कर आनन्द का अनुभव कर रहे हैं।
हम सब एक - दूसरे की सहायता को साथ खड़े हैं। हमारे द्वारा संचित धन, वाहन, मकान संपत्ति सब इस दौर में निरर्थक हों गए हैं।
अब यह अनुभव हो रहा है कि क्या ये अनावश्यक भौतिक वस्तुयें इस विषम परिस्थिति में किसी काम की है अथवा नहीं।आज आवश्यकता है तो यह समझने की जीवन का सार क्या है। क्या जीवन में अमूल्य है ।
आज आपका अच्छा स्वास्थ्य, अच्छी रोग प्रतिरोधकता, शिक्षा व ज्ञान सबसे मूल्यवान वस्तु है । यही जीवन में सबसे अमूल्य वस्तुयें हैं, इनके अर्जन पर केंद्रित होवे।
अधिक से अधिक ज्ञान प्राप्त करें और दूसरों के जीवन को सुगम बनाने में सहायता करें। सम्पत्ति का अर्जन करें लेकिन अपनी आवश्यकताओं के अनुरूप ना कि दिखावे के लिये। एक अनुशासित जीवनशैली को चुने, प्राकृतिक संसाधनों का उचित उपयोग करें।
जहाँ तक संभव हो पर्यावरण संरक्षण व अन्य प्राणियों के संरक्षण के लिए प्रतिबद्ध होवें। यदि हम सब आज से ही इस ओर कार्यरत हो जाए तो यह धरा पुन: स्वर्ग से भी सुंदर हो जाएगी।